मंज़र देखा





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भोपाल त्रासदी पर श्रद्धांजलि

 मंज़र  देखा
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बेबसी में आस का मंज़र  देखा
 जगह धुँआ -धुँआ सा देखा
आँख में आँसू  सा देखा,
हर शक्स सहमा सा देखा
रात के गहरे सन्नाटे में देखा
जहरीली हवा के सायेसा देखा
सिहरता -कांपता सा मंज़र
मौत की आगेश में लिपटा देखा
उमर  कट गई अँधेरे में उन्हें
 इक रौशनी के लिए तरसते देखा
तमाम  उम्र कफस में रह कर बारहा
 हमने उजालो की ओर देखा
दफ़न मिट्टी में  दबी लाशों का अम्बार
 लगा कर बस तमाशा देखा
जान पर खेल कर इंसान हर तरफ रोता
 हुआ पूरा -शहर  ही  देखा
काँपती रूह थी "अरु" लाचारियों का सुबह तक
अजब दौर भी देखा
आराधना राय "अरु"

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