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Showing posts from February, 2016

निराली है

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कीमत कैसी पत्थर तराश कर लगा डाली है  मज़बूरी दिल की नहीं हाथ अपना खाली है   बेख़ुदी ने राह में जगह अपनी तो बना ली है मार डालो उफ ना करेगे ये हालात बना ली है यहाँ आदमी वक़्त के हाथों कि कठपुतली है जिंदा है पर जिंदगी हरएक की नपीतुली है चाहों तो मर कर भी देख लो इकबार यहाँ पे मर कर कोई शय किसको यहाँ पर मिली है  आँख-मिचोनी सी किसने खेल डाली है "अरु" मौत के साथ यहाँ जिंदगी कितनी निराली है आराधना राय "अरु"

सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना ---------------------------------- ज्योति दिनकर की मन के आकाश में भर दो हे माँ सस्स्वती ज्ञान का मुझ में प्रकाश भर दो माँ हो जगत में व्यापत अपरिमित, अतुलित गुण ध्वल श्वेत शाश्वत हदय से वरद हस्त अपना कर दे माँ तूझे अंधकार भाता नहीं ,अज्ञानता से नाता नहीं अपने ज्योतिमय ज्ञान के आकाश में तू स्थान भरदे माँ शारदा मुझमें अपना किरणमय सा प्रकाश भर दे अरु आराधना करती नमन है माँ तू ज्ञान का ही वर दे आराधना राय "अरु"

क्या कहूँ

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साभार गुगल क्या कहूँ --------------------------------------- क्या कहूँ क्या ना कहूँ बिसर गया जो वो कहूँ समय की नदी क्या बनू आप बीती ही अब कहूँ प्रीत रजनी की क्या कहूँ ऊसर,परती धरती की कहूँ स्वपन तुझ बिन क्या बुनू सतरंगी बातों को क्या कहूँ कुंठित हो तुझ से मैं कहूँ मौन रहूँ या कुछ ना कहूँ तोड़ा हदय और चुप रहूँ गया सृंगार जो उसे कहूँ बता मन कौन सी बात कहूँ निशा ,रजनी ,तारों की कहूँ दिन की लालिमा की बोलू भोर की अवसान में बात कहूँ रात की दुल्हन कि बात कहूँ विहाग के गान की बात कहूँ चाँद की छिटकती रही चाँदनी "अरु " मतवाली बन क्या कहूँ आराधना राय "अरु"