चली जाती है




साभार गुगल


रात में आ के चली जाती है
दिन उजालों संग बिताती है
दूर से आ कर मुझे बुलाती है
तेरी आवाज़ मुझे भरमाती है

ज़िन्दगी रंगों में ढल के आती है
मुझे क्यों रात दिन ये सताती है
रूप कि चादर सलोनी ओढ कर
कितने रूप दिखा कर तू जाती है

जब मिली धुप सी मिली मुझसे
छाँव कि रंगीनी क्या दिखाती है
ज़िन्दगी पास रह कर तू जाती है
कैसे इल्जाम लगा के तू रुलाती है
आराधना राय "अरु"

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