बात करती हूँ






 मैं हिन्द की बात करती  हूँ
 मुस्लिम की ना हिन्दू बात
मैं इन्सान कि इंसानियत की
बात हँस कर  तुमसे करती हूँ
पेट जला कर धर्म क्या बनाऊँ
धर्म पे आस्था मैं भी रखती हूँ
कृष्ण को ये युद्ध कब प्यारा था
राधा नाम ले प्रेम को पुकारा था
प्रेम का आधार मैं क्या बतलाऊँ
इन्सान बन इंसान का मन पाऊँ
रक्त- पीती हूँ दुराचारियों का मैं
काली - दुर्गा हो के बात कर जाऊँ
आराधना राय "अरु"


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