कड़ी धुप अतुन्कांत


कड़ी धुप में चलते चलते
साये का पता नहीं  चला
मजबूरियों ने सीख लिया
सामने तेरे झुक कर चलाना
सुबह के बाद शाम और रात है
पता इसका है पर मुझे अभी है
मिलों इसी तरह धुप में जलना

आराधना राय अरु

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