खण्डहर

खण्डहर हो जाने पर भी
खड़ा रहता है सजग प्रहरी
बन मौन और सुनाता रहता 
है कथा-  जीवन की बिन कहे
कौन
निशब्द खन्डहर बताता समय 
के हर बोल


Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

कोलाहल

नज्म बरसात

याद