चाँद







लुक छिप कर चाँद बहलाता है तू
घने बादलों से निकल छिप जाता है तू

सुना कर हाल  दिल के सब्र ओ करार के
मेरी और देख जाने क्यों मुस्कुराता है तू

दीवाना कहूँ या हँस कर कातिल कहूँ तुझे
जाने  क्यों पीछे पीछे चला आता है तू

स्याह रातों की राह का साथी बन कर
ना जाने किस को राह दिखलाता है तू

छत पे निकल कर कुछ कह जाना तेरा
आँगन में अटक कर पहरों ताक जाता है तू

आराधना  राय अरु

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