मन के सम्बन्ध



साभार गूगल
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मन संबधो के पेड़ उगाता है 
कोई मधुर संगीत सुनाता है 

पत्ते , कोपल जड़ और तने 
 मेरा सदियों से कोई नाता है 

पूर्वा बहती पछुआ चलती है 
मुझ को नित कोई बुलाता है 

मन का अंकुर फूट  जाता  है 
कोपल बच्चो सा बहलाता है 

मन में हिलोर मचा  जाता है 
कोई मन ही मन  मुस्काता है 


मन सम्बन्ध बना  के जाता है 
जाने क्या मुझे ये समझाता है  

 आराधना राय "अरु"       

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