बाबा

बाबा ने प्यार से एक गुड्डा ला दिया
मुन्नी ने प्यार से  नज़रबट्टू लगा दिया

जो भी माँगा मिल गया ला कर के दिया
गुड़डी को एक सुन्दर सा गुड्डा दे दिया

दाम ऊँचे खूब मगर महँगा फिर भी दिया
इस बार मगर गुड्डी को गुड्डे के साथ दिया

बाबा खुश थे गुड्डी को अाशियाना एक दिया
बिक गया असबाब घर को वीराना कर दिया

गुड्डी के लिए बाबा ने खुद को कही बेच दिया
गुड्डी के आँखों में आँसू न आये  घर बेच दिया।
आराधना राय "अरु"

Comments

  1. शायद यही नियति है. सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.

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  2. आप ने प्रशंशा की अभिभूत हुई मैं।
    rachan ji

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