अश्रु
कही आँख से निकला होगा कही अविरल बहता होगा दुख में सुख में अश्रुपूर्ण सी धारा कही कभी कुछ कहता होगा अश्रु बिंदु तुम्हारा नयनो में भर आता है अश्रु दीप बन सा हारा जी कर मरने तक का प्रण लेता कभी किसी हंसी के पीछे लहराता मधुरिम सा सहारा आज सुखों को देख है हँसता कभी दुख का राग सुनाता बहता अश्रु सा तारा आराधना राय आराधना राय