मेरी सांसों में
कविता
मैं थरथरा रही हूँ लों बन कर
तुम अपनी साँस से महकते हो
तुम मेरे रोम- रोम में बसते हो
मेरी सांसो में महक जाते हो
मेरी निगाहों में धुंध का साया है
तेरे कदमों में ज़माना पड़ा
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तुम बसें हो मेरी सांसों में
मेरी धड़कन में तुम समाते हो
मैं थरथरा रही हूँ लों बन कर
तुम मेरे साथ जले जाते हों
इन वीरानियों में देख ली दुनियाँ
तेरे बगेर हम जी कर मर जाते है
इन वीरानियों में देख ली दुनियाँ
तेरे बगेर हम जी कर मर जाते है
तुम अपनी साँस से महकते हो
तेरे संग रह कर पा लिया है तुझे
तुम मेरे रोम- रोम में बसते हो
मेरी सांसो में महक जाते हो
मेरी निगाहों में धुंध का साया है
तुम किसी धूप सा मुस्कुराते हो
तेरे कदमों में ज़माना पड़ा
"अरु"तुम साया बन कर आते हो
आराधना राय "अरु"
VERY NICE
ReplyDeleteshukriya
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