प्रेम की बानी --------दोहे




साभार गूगल


प्रेम की बानी बोल रहे
राधा- रमण घनश्याम

रीता जग सब पड़ गया
प्रेम की भाषा को खोये

जनि नहीं विश्वास को
मुख से ले प्रभु का नाम

अमृत कलस भरा रहा
ज्यों पान न करें कोय

ह्रदय की बानी एक है
चाहे घूमे सौ -सौ  धाम

कैसी विपदा आन पड़ी
"अरु" भजे ईश का नाम
आराधन राय 'अरु'



Comments

Popular posts from this blog

मीत ---- गीत

याद

कोलाहल