लेखिका की रचनाये भारतीय कॉपीराइट एक्ट के तहत सुरक्षित है अंत रचनओं के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा
अच्छा होता
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क्वार कार्तिक की
धुप में तपने से
अच्छा होता
जेठ की दुपहरी
सह लेते
वकावाली खाने
से अच्छा
नीम कसली
खा लेते
मृत्यु की ठंडक
सहने से
बेहतर
जीवन की
गर्मी सह
लेते
सघन वृक्ष
की छांव में
गुम हो रहने
से
धुप- छांव
सह लेते
अबके सावन हमको बहुत रुलाएगा बात - बात में तेरी याद दिलाएगा बारिश में जब भीगे भीगे फिरते थे वो बचपन लौट के फिर ना आएगा मन बेचैनी से तुमको फिर ढूंढेगा बांह पकड़ के हमको कौन सिखाएगा बाबा पापा सब नामकरण संक्षिप्त हुए अब रहा नहीं कोई जो हमें हंसाएगा सपन -सलोने सारे सब खत्म हुए खाली रातों में लोरी कौन सुनाएगा अपने पिताजी को समर्पित आज मेरे पिताजी की बरसी पर
साभार गुगल बसे हो मेरी सांसो में तूम धड़कन में छा जाते हो बसे हो मेरी................................ तुम अपनी साँसों से हर पल ही महकाते हो बसे हो मेरी................................ लो बनकर जीती हूँ अबतक तूम संग मेरे जल जाते हो बसे हो मेरी................................ देख ली इस दिल की बैचेनी मर कर इश्क़ को पाते हो बसे हो मेरी................................ पास रहो या दूर रहो तुम तुम मुझ में रह जाते हो बसे हो मेरी................................ सपना बन कर आने वाले आँसू बन क्यों आते हो बसे हो मेरी....... सुख दुःख के साथी हो मेरे मीत मेरे अनुरागी हो बसे हो मेरी.......
अब के सावन में बरसात ना होगी इतना रोये है हम अब कोई बात ना होगी दिल जला कर क्या पा लिया तुझे अब के सपनों में भी वो रात ना होगी मरहले और भी है इक तेरी राहों के सिवा आरजू दिल में रहेगी मुलाकात ना होगी आए मुझे देखने कितने परवानो की तरह रश्क ए चमन में मगर वो बात ना होगी -----------अरु
सुन्दर
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