मौन रही
प्रीत की बाती रात भर जलती रही
कह ना सकी बात मन की मौन रही
स्वपन निर्झर बहे आँखों से भी बहे
संवेदना प्रेम की निशब्द कहती रही
आये ना क्यू सजन राह देखती रही
बेन सहे प्रखर अग्नि सी दहकती रही
बोल उठते नयन पीड किस बात की
चन्द्र भी मौन है निशा भी मौन ही रही
मौन पाया घना मन शब्द सुनती रही
समीर मंद हँस दिया शमा कहती रही
प्रीत की बाती थी वो जल गई जल गई
सजन फिर पूछ ना वो क्या कहती रही
आराधना राय "अरु"
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