कौन है
सच को अब यहाँ सुनता कौन है
कहूँ कि ना कहूँ इंसान कौन है
अपने स्वार्थो के हुए सब धनी
दूसरों के लिए सोचता कौन हैं
बंद हो जाते है जब दरवाज़े सभी
खिड़कियाँ खोल देखता कौन है
सुन रहा है वो दूर से आवाजे सभी
देखना है बेआवाज़ हो बोलता कौन है
बोल उठेगी दसों दिशाए अब सभी
टूटे पत्तों के मानिद उड़ जाओगे
स्वार्थ के दलदल में फसें हो अभी
समय-असमय सारे मारे जाओगे
नादानियाँ दिलाती अगर खौफ है
रो उठा दिल दुःख से तो मौत है
बददुआ बन बरस जाएगी कभी
आसमां से छुप कर देखता कौन है
आराधना राय "अरु"
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