जीवन सजाया है
तिनकों को जोड़ कर घरोंदा बनाया है
इक उम्र रहन रख के जीवन सजाया है
चाँद तारों से माँग अपनी क्या सजती
घर अपना हर दिन उम्मीदों से बसाया है
तोड़ कर अपनी हर ज़िद्द किसे पता मैंने
अपना दिल हर दिन युहीं नहीं जलाया है
जिंदगी कट गई चारदिवारी में घुटकर ही
उम्र का हिस्सा गुमशुदा नाकाम पाया है
मांगते भला सब से क्या हम अपने लिए
सुख देकर सदा हमने बस दुःख पाया है
सही गलत देखते पूरी जिंदगी गुज़र गई
सभी ने "अरु" तुझे बार बार आज़माया है
आराधना राय "अरु"
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