बता तूने क्या पाया मन
बता तूने क्या पाया मन
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बाँच कर अपने हृदय को
चिट्ठियों कि तरह
एक- एक लम्हा बे -साया
कर दिया
बंधे थे भाव अंतस में कही
उन्हें कह दिया
रीते मन कि बात क्या
समझाती तुम्हें
अपने सपनों का दहन
स्वयं कर दिया
राख को कुरेद कर क्या
रख दिया
दहकती आग कि चिंगारी
बाकी है
अभी मरना यही जीना
बाकी है
बात अपनी कह कर तूने
क्या पा लिया
बता तूने क्या पाया मन
मौन रह कह दिया
आराधना राय "अरु"
उम्दा .....
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