शब्द के शहतीर --------------------------
शब्द के शहतीर
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शब्द के शहतीरों से जो यूँ घायल ना कभी ही हुए
मान - सम्मान क्या ,कुछ भी ना था जिनके लिए
क्यों सहज़ता से कष्ट भी सह कर हँसे दुसरों के लिए
अपमान के विष पी गए अधरों से उफ तक भी ना हुए
वासना के रूप ,गंध का पलायन ही सदा करते रहें
पथ कंटकीण उनके लिए सदा के लिए ही क्यों हुए
जाति-पाति के भेद को निर्वासित कर वो चलते रहें
दुरूह कार्य भी सरलता से जिन से यूँ कहीं स्वयं हुए
अनचिन्हों को जो सदा चिन्हित ही करते क्यों रहे
मार्ग कि बाधा से वो तो गर्वित ही ना जानें क्यों हुए
आराधना राय
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शब्द के शहतीरों से जो यूँ घायल ना कभी ही हुए
मान - सम्मान क्या ,कुछ भी ना था जिनके लिए
क्यों सहज़ता से कष्ट भी सह कर हँसे दुसरों के लिए
अपमान के विष पी गए अधरों से उफ तक भी ना हुए
वासना के रूप ,गंध का पलायन ही सदा करते रहें
पथ कंटकीण उनके लिए सदा के लिए ही क्यों हुए
जाति-पाति के भेद को निर्वासित कर वो चलते रहें
दुरूह कार्य भी सरलता से जिन से यूँ कहीं स्वयं हुए
अनचिन्हों को जो सदा चिन्हित ही करते क्यों रहे
मार्ग कि बाधा से वो तो गर्वित ही ना जानें क्यों हुए
आराधना राय
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