माँग लूँगी अतुकान्त
साभार गुगल
आज नहीं तो कल माँग लूँगी
रेत के तपते सहरा से तपिश
बरसती भीगती बारिश से नमी
आँख कि माँग लूँगी
जीवन तुझे जीने के लिए सुख
नहीं कुछ दुःख ही माँग लूँगी
दूर तक जाते काफ़िले से माँग
लूँगी इंतज़ार के लम्हे
यह ना सोचना तेरी ख़ुशी
तुझ से माँग लूँगी
मर कर मौत नहीं जीवन
मैं तुझे फिर जीयूँगी
डर नहीं लगता कि ढल जाऊँगी
किसी धुप कि मानिंद
जिंदगी तुझे हार कर मैं तुझ से
जीत माँग लुंगी
"अरु" रुकता नहीं कोई यहाँ
तेज़ हवा सा बह इक दिन
मैं भी बहुंगी, आज नहीं मैं कल
फिर तुझसे जिंदगी नही मौत के पीछे
छिपी धड़कन मांग लूँगी
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