रुपहली बात
मन जब करे ईश्वर की पुकार
पिया बन हिया से करे झंकार
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कोई सोया सकून से आजजिंदगी भी खुश हुई आज
नींद इक ख्वाब की है बात
रुपहले सपनों की है बारात
चाँद , तारे और महकती रात
तन्हाइयों में सरुर देती रात
किसी ने छेड़े हो रंगों के तार
वीणा के सुर से देती आवाज़
मखमली मन की हो बस बात
बादलों के पंखो पर हो सवार
मन मौन है कहता है हर बार
प्रियतम आओगे तुम मेरे द्वार
अरु के संग उमंग का कोई राज़
आराधना राय "अरु"
प्रीतम - पिया - ईश्वर को पुकारने वाले नाम
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