अतुकांत कविता
तुमने लिख कर जो छोड़े है
शब्द आस पास मेरे कही
वो मेरी दिल की भट्टी में
तप गए के सुनहरे रंग में
बिखर रहा था जो वजूद
उस से नाता जोड़ बैठी हूँ
शब्दों से रिश्ता अपना
टूटते दिल को थामने की
हिम्मत शब्दों ने दी है
कब से बैठी हूँ कुछ तूम
फिर बोलो जानती हूँ
नहीं बोल पाओगे तूम
तुम्हारी शक्सियत में
दिल में लिए बैठी हूँ
चन्द शब्दों को नहीं
पूरी ज़िन्दगी संभाल
बैठी हूँ
आराधना राय अरु
शब्द आस पास मेरे कही
वो मेरी दिल की भट्टी में
तप गए के सुनहरे रंग में
बिखर रहा था जो वजूद
उस से नाता जोड़ बैठी हूँ
शब्दों से रिश्ता अपना
टूटते दिल को थामने की
हिम्मत शब्दों ने दी है
कब से बैठी हूँ कुछ तूम
फिर बोलो जानती हूँ
नहीं बोल पाओगे तूम
तुम्हारी शक्सियत में
दिल में लिए बैठी हूँ
चन्द शब्दों को नहीं
पूरी ज़िन्दगी संभाल
बैठी हूँ
आराधना राय अरु
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