सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना
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ज्योति दिनकर की मन के आकाश में भर दो
हे माँ सस्स्वती ज्ञान का मुझ में प्रकाश भर दो
माँ हो जगत में व्यापत अपरिमित, अतुलित गुण
ध्वल श्वेत शाश्वत हदय से वरद हस्त अपना कर दे
माँ तूझे अंधकार भाता नहीं ,अज्ञानता से नाता नहीं
अपने ज्योतिमय ज्ञान के आकाश में तू स्थान भरदे
माँ शारदा मुझमें अपना किरणमय सा प्रकाश भर दे
अरु आराधना करती नमन है माँ तू ज्ञान का ही वर दे
आराधना राय "अरु"

Comments

  1. माँ के चरणों में वंदन है ... बहुत सुन्दर प्रार्थना के शब्द ...

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