क्या कहूँ

साभार गुगल


क्या कहूँ
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क्या कहूँ क्या ना कहूँ
बिसर गया जो वो कहूँ
समय की नदी क्या बनू
आप बीती ही अब कहूँ
प्रीत रजनी की क्या कहूँ
ऊसर,परती धरती की कहूँ
स्वपन तुझ बिन क्या बुनू
सतरंगी बातों को क्या कहूँ
कुंठित हो तुझ से मैं कहूँ
मौन रहूँ या कुछ ना कहूँ
तोड़ा हदय और चुप रहूँ
गया सृंगार जो उसे कहूँ
बता मन कौन सी बात कहूँ
निशा ,रजनी ,तारों की कहूँ
दिन की लालिमा की बोलू
भोर की अवसान में बात कहूँ
रात की दुल्हन कि बात कहूँ
विहाग के गान की बात कहूँ
चाँद की छिटकती रही चाँदनी
"अरु " मतवाली बन क्या कहूँ
आराधना राय "अरु"

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