क्या इरादा है
बोलिए अब क्या इरादा है
देख ली तोड़ कर अना अपनी
मेरा कातिल भी कितना सादा है
ख्वाब में रोए रात जी भर कर
जुल्म कितना मुझ पे ज्यादा है
गर्क कर आए जहां को अपने
जाने किस गाँव का बाशिंदा है
पास लाकर प्याला तोड़ दिया
जाने क्या सोच कर जिंदा है
अजब से आइनों के साथ जिए
खुदा भी देख कर शर्मिंदा है
राह में साथ नहीं किसी रहबर का
आशियाने में "अरु" कोई परिंदा है
आराधना राय "अरु"
तेरे अश्कों से बात करते है ........ रात हम यूँ ही खाक करते है-
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