बारिश,
 रिमझिम करती बारिश, के मौसम में  सावन तूम आ कर भरमाते क्यों हो   हरा -भरा जल थल है माना तूम मुझे  रोज़ समझाते क्यों हो इतने  वेग से   हँसती है रोज़ दामिनी द्रुतिगमिता  स्मित झलका के रोज़ पूछती हाल है   सावन निर्झर झर शोर मचाते क्यों हो  तूम आते हो अपनी चाहत बताते क्यों हो   आराधना राय अरु