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याद

अबके सावन हमको बहुत रुलाएगा बात - बात में तेरी याद दिलाएगा बारिश में जब भीगे भीगे फिरते थे वो बचपन लौट के फिर ना आएगा मन बेचैनी से तुमको फिर ढूंढेगा बांह पकड़ के हमको कौन सिखाएगा बाबा पापा सब नामकरण संक्षिप्त हुए     अब रहा नहीं कोई जो हमें हंसाएगा सपन -सलोने सारे सब खत्म हुए खाली रातों में लोरी कौन सुनाएगा अपने पिताजी  को समर्पित आज मेरे पिताजी की बरसी पर   

ज़िन्दगी

शोर में गुम है ज़िन्दगी मौन आहटों के है साये तेरे दिल से मेरे दिल तक बंद है सब तरफ की राहे अपने अपने कोटरों में बैठ करते खुद अपने से ही बाते वक़्त के पायताने पे बैठ लिखते रहे हिसाब अनगिनत लौट के आते है पर सुन नहीं सकते अपनी दिल की आवाज़े सुनने वाला कोई नहीं आज पीट रहे ढोल खुद अपना लिए शोर के बीच मैं है शोर इतना देख भी न पा रहे वो कल अपना रो पड़े ज़िन्दगी ज़िन्दगी को आज शोर मैं गुम हुए सब सन्नाटे आज

कोलाहल

भीतर – बाहर है कोलाहल बहता पानी सा हल हल हल छुपा हुआ है कही अंतस में मन के भीतर के विप्लव में आसन नहीं चुप रह जाना चुपके –चुपके विष पी जाना मचा रहा है हाहाकार फिर गलियों के हर एक चप्पे में चीखे गलियाँ और चोबारे क्यों मौन रहे इस क्रदन में आराधना राय  

नज्म बरसात

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अब के सावन में बरसात ना होगी इतना रोये है हम अब कोई बात ना होगी दिल जला कर क्या पा लिया तुझे अब के सपनों में भी वो रात ना होगी मरहले और भी है इक तेरी राहों के सिवा आरजू दिल में रहेगी मुलाकात ना होगी आए मुझे देखने कितने परवानो की तरह रश्क ए चमन में मगर वो बात ना होगी -----------अरु

नज़्म इंतज़ार

इंतजार इक सदी सा लम्बा लगता है कभी बीती बातों का आईना लगता है देख लेती सूरत भी तेरी आईने में उस दुनिया के कहर से  डर बड़ा लगता है लौट आते है पल सारे वो सुहाने मेरे तेरे साथ सुख और दुख में गुज़ारे मैंने एक लम्हा सदी का इंतज़ार सही तेरे मिलने ना मिलने जा इंतजार सही नज्म ------------ अरु 

गीत

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                               बंद कागज़ पे लिखे है                                 कुछ गीत तेरे                                                                     उँगलियों ने छुई  है प्रीत                                  बस प्रीत तेरी                                   लिख दिए है सभी ज़ज्बात                                  सुहाने  से                                                                                                                       धुप में जैसे इक  शजर है                                   साया बन के                                  बंद कागज़ --------------------                                  तू ना आए तो शाम हंसी                                  रुक जाए                                  महकी महकी सी कोई साँस                                  कही रुक जाए                                                                      बात करती है तेरी बात                                  रातों में                                  आईना करता है तकरार    

अश्रु

कही आँख से निकला होगा कही अविरल बहता होगा दुख में सुख में अश्रुपूर्ण सी धारा कही कभी कुछ कहता होगा अश्रु बिंदु तुम्हारा नयनो में भर आता है अश्रु दीप बन सा हारा जी कर मरने तक का प्रण लेता कभी किसी हंसी के पीछे लहराता मधुरिम सा सहारा आज सुखों को देख है हँसता कभी दुख का राग सुनाता बहता अश्रु सा तारा आराधना राय आराधना राय