लेखिका की रचनाये भारतीय कॉपीराइट एक्ट के तहत सुरक्षित है अंत रचनओं के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा
दिन- रैना
Get link
Facebook
Twitter
Pinterest
Email
Other Apps
राह देखते नहीं थकती
बिरहन रैना
पंथ निहारते है मेरे
सिहरते नैना
दिन कि लिखावट
करते थकते
सुन- सुन कर
हारे बैना
प्रीत कि बाती बिन
बुझे मन चैना
दुख छुपा है
सखी, का से कहे
पीड कोई होना
आराधना राय "अरु "
भीतर – बाहर है कोलाहल बहता पानी सा हल हल हल छुपा हुआ है कही अंतस में मन के भीतर के विप्लव में आसन नहीं चुप रह जाना चुपके –चुपके विष पी जाना मचा रहा है हाहाकार फिर गलियों के हर एक चप्पे में चीखे गलियाँ और चोबारे क्यों मौन रहे इस क्रदन में आराधना राय
अब के सावन में बरसात ना होगी इतना रोये है हम अब कोई बात ना होगी दिल जला कर क्या पा लिया तुझे अब के सपनों में भी वो रात ना होगी मरहले और भी है इक तेरी राहों के सिवा आरजू दिल में रहेगी मुलाकात ना होगी आए मुझे देखने कितने परवानो की तरह रश्क ए चमन में मगर वो बात ना होगी -----------अरु
अबके सावन हमको बहुत रुलाएगा बात - बात में तेरी याद दिलाएगा बारिश में जब भीगे भीगे फिरते थे वो बचपन लौट के फिर ना आएगा मन बेचैनी से तुमको फिर ढूंढेगा बांह पकड़ के हमको कौन सिखाएगा बाबा पापा सब नामकरण संक्षिप्त हुए अब रहा नहीं कोई जो हमें हंसाएगा सपन -सलोने सारे सब खत्म हुए खाली रातों में लोरी कौन सुनाएगा अपने पिताजी को समर्पित आज मेरे पिताजी की बरसी पर
दिल को छूते अहसास...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहदय से नमन कैलाश जी
Deleteआप कि आभारी हूँ यशोधरा अग्रवाल जी
ReplyDelete